Tuesday, October 11, 2022


श्री गणेश अष्टावतार 

मुद्गल पुराण के अनुसार भगवान् गणेश के अनेको अवतार हुये है जिनमे आठ अवतार प्रमुख हैं । यह आठों अवतार  इस प्रकार हैं;-


(1) श्री वक्रतुण्ड गणेश:-

श्री गणेश के वक्रतुण्ड अवतार के सम्बन्ध में एक श्लोक मिलता है जो इस प्रकार है –


वक्रतुण्डावतारश्च देहानां ब्रह्मधारकः |

मत्सरासुरहन्ताम स सिंहवाहनगः स्मृतः ||


अर्थ :– भगवान् श्री गणेश का वक्रतुण्ड अवतार ब्रह्म स्वरुप से सम्पूर्ण शरीरों को धारण करने वाला है, मत्सर असुर का वध करने वाला तथा सिंह वाहन पर चलने वाला है


(2) एकदन्त श्री गणेश:-

भगवान् श्री गणेश के दूसरे अवतार एकदंत के सम्बन्ध में एक श्लोक मिलता है जो इस प्रकार है –


एकदन्तावतारौ वै देहिनां ब्रह्मधारकः |

मदासुरस्य हन्ता स आखुवाहनगः स्मृतः ||


अर्थ :- भगवान् श्री गणेश का एकदन्त अवतार देहि ब्रह्म का धारक है, यह मदासूर का वध करने वाला है तथा मूषक वाहन पर चलने वाला है |


(3) महोदर श्री गणेश:-

भगवान् श्री गणेश का तीसरा अवतार महोदर का है जिसके सम्बन्ध में एक श्लोक मिलता है जो इस प्रकार है –


महोदर इति ख्यातो ज्ञानब्रह्मप्रकाशकः ।

मोहासुरस्य शत्रुर्वै आखुवाहनगः स्मृतः ||


अर्थ :- भगवान् श्री गणेश का महोदर अवतार ब्रह्म ज्ञान का प्रकाशक है, यह मोहासूर का वध करने वाला है तथा मूषक वाहन पर चलने वाला है |


(4) गजानन श्री गणेश:-

भगवान् श्री गणेश का चतुर्थ अवतार गजानन का है जिसके सम्बन्ध में एक श्लोक मिलता है जो इस प्रकार है –


गजाननः स विज्ञेयः सांख्येभ्यः सिद्धिदायकः ।

लोभासुरप्रहर्ता वै आखुगश्च प्रकीर्तिताः ॥


अर्थ :- भगवान् श्री गणेश का गजानन अवतार सांख्यब्रह्म का धारक है, यह सांख्य योगिओं को सिद्धि देने वाला माना जाता है यह लोभासूर का वध करने वाला तथा मूषक वाहन पर चलने वाला कहा जाता है


(5) लम्बोदर श्री गणेश:-

भगवान् श्री गणेश का पंचम अवतार लम्बोदर श्री गणेश का है जिसके सम्बन्ध में एक श्लोक मिलता है जो इस प्रकार है –


लम्बोदरावतारो वै क्रोधासुर निबर्हणः ।

शक्तिब्रह्माखुगः सद यत तस्य धारक उच्यते ॥


(6) विकट श्री गणेश:-

भगवान् श्री गणेश का षष्टम अवतार विकट श्री गणेश का है जिसके सम्बन्ध में एक श्लोक मिलता है जो इस प्रकार है –


विकटो नाम विख्यातः कामासुर्विदाहकः ।

मयुरवाहनश्चायं सौरब्रह्मधरः स्मृतः ॥


अर्थ :- भगवान् श्री गणेश का लम्बोदर अवतार सत्स्वरूप तथा ब्रह्मशक्ति का धारक है, भगवान लम्बोदर को क्रोधासुर का वध करने वाला तथा मूषक वाहन पर चलने वाला कहा जाता है ।


(7) विघ्नराज श्री गणेश

भगवान् श्री गणेश का सप्तम अवतार विघ्नराज का है जिसके सम्बन्ध में एक श्लोक मिलता है जो इस प्रकार है


अर्थ :-भगवान् श्री गणेश का सप्तम विघ्नराज का है जो विष्णु ब्रह्म का धारक है, यह शेषनाग पर विराजमान है । श्री गणेश का यह अवतार ममतासुर का वध करने वाला है |


विघ्नराजावताराश्च शेषवाहन उच्येत ।

ममतासुर हन्ता स विष्णुब्रह्मेति वाचकः ॥


(8) धुम्रवर्ण श्री गणेश:-

भगवान् श्री गणेश का अष्टम अवतार धूम्रवर्ण श्री गणेश का है जिसके सम्बन्ध में एक श्लोक मिलता है जो इस प्रकार है –


धुम्रवर्णावतारश्चाभिमानासुरनाशकः ।

आखुवाहन एवासौ शिवात्मा तु स उच्येत ॥


अर्थ :-भगवान् श्री गणेश का अष्टम अवतार धूम्रवर्ण श्री गणेश का है जो शिव तत्व का धारक है या शिव तत्त्व स्वरुप है , धूम्रवर्ण श्री गणेश मूषक वाहन पर विराजमान हैं । श्री गणेश का यह अवतार अभिमानासुर का वध करने वाला है


उपरोक्त अवतार सुखी और शांतिपूर्ण जीवन जीने और परम सत्य की प्राप्ति के लिए इन कमजोरियों को दूर करने की हमारी आवश्यकता को इंगित करते हैं।


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